जिंदगी ! एक ऐसा शब्द जिसे पृथ्वी पे बस्ता हर एक जीव अलग अलग तरह से महसूस करता है । और इस जिंदगी के लिए ऐसा कहा जाता है की ये बोहोत कुछ शीखा जाती है। और कुछ लोग तो ऐसा भी कहते है की जिंदगी के हर एक पल में से हमें कुछ ना कुछ शीखना चाहिए। और ये बात कही न कही सही भी है। क्युकी शीखा हुआ कभी व्यर्थ नहीं जाता। यानी की जिंदगी की हर एक शीख आगे की जिंदगी में कही ना कही काम आही जाती है। हा,ये बात अलग है की एक ही घटना में से हरेक इंसान कुछ ना कुछ अलग शीखता है। पर ये बात भी सही है की शीखता जरूर है। पर ये शीखने की कस्मकस में हम कही बार कही ना कही खो जाते है। हम एक धारणा कर लेते है जिंदगी की घटना हमें कुछ ना कुछ शीखायेगी या तो कोई इंसान उस घटना से कुछ शीखा जायेगा या तो उस घटना का सार शीखा जायेगा। पर क्या असल में ऐसा होता है ? क्या हर बार हमें शीखाने के लिए कोई होना चाहिए ? क्या असल में हर बार कुछ शीखने का ही उदेश ह...