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युवा भारत


       भारत ! हमारा देश भारत ! एक ऐसा देश जहां दिन प्रतिदिन बढ़ रही समस्याओ को कम करने के सामने उसके उपाय कम है। हमारे देश में दिन प्रतिदिन विकास के कार्य, योजनाए और अनेक प्रयासोसे विकास की गति बढ़ रही है। भारत आज प्रगति की उस सीडी पे आके खड़ा है जहां से निश्चित मंजिल पाने से अब ज्यादा समय नहीं रहा है।  

          हमारा देश आज उस परिस्थिति     पर है जहां हमारे देश को उसके  युवाओ के साथ की जरुरत है।  अगर     देश के   युवा जागृत होंगे और उचित दिशा में   देश के विकास के कार्यो में जुड़ेंगे तो देशमे बढ़ रही समस्याओ को रोक पाएंगे।  डॉ..पी.जे. अब्दुल कलाम के 'इंडिया 2020' के सपने को पुरा करने के लिए देश के युवाओ के पास बस 2 साल का ही समय बाकी है।   

           
पीछले कुछ सालो में किये हुए कार्यो की वजह से  देश में बोहोत सारे अच्छे बदलाव हुए है और बोहोत सारी समस्याओ को भी सुलजा पाए है।  लेकिन कभी कभी देश  में हो रहे कार्यो  और योजनाओ में देश को उसके युवा जुथ के साथ की जरुरत है ऐसे समय में देशकी युवा पेढी को देश की जरुरत को समज कर देश के विकास के कार्यो में मदद करनी चाहिए।  देशमे हो रहा विकास देश के लोगो के हित में ही होता हैे इस लिए देश के लोगो को विकास के कार्यो में अपना योगदान देना चहिए।  

           
देश में चल रहे 'स्वच्छ भारत' जैसे अभियान में हम  अपना योगदान देकर हम देश के विकास में भागीदार बन सकते है। 'स्वच्छ भारत' अभियान में अपना योगदान देने के लिए रोज देश की सफाई के लिए जाना नहीं होता।  बस सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होता है की हमारे द्वारा और कूडा फैले।  हमें कूड़े को सही तरह से निकाल करना चाहिए।  बस ऐसे छोटे पर महत्वपूर्ण कार्यो से देश की मददरूप हो शकते है।  

          
इन सभी बातो के बिच एक महत्वपूर्ण बात की तरफ भी हमे ध्यान देना चाहिए।  और वो बात है देश में दिन प्रतिदिन बढ़ रही स्त्रीओ पर की हिंसा ! इस गंभीर मुदे पर देश के युवाओ को ही जागृतता दिखानी होगी। किसी किस्से के बारे में जानकर उसके इंसाफ के लिए सोशियल मीडिया पर फोटो या मैसेज फॉरवर्ड करने से कुछ नहीं होगा। समाज कि युवा पेढी को ये समझना होगा दुष्कर्म किसी एक लड़की के साथ होता है पर उसकी असर अनेक पर होती है। कही लड़कियों को अपना बचाव करना पड़ेगा तो कही कही लड़को को उनके बचाव के आगे आना पड़ेगा। युवा पेढी के साथ साथ समाज के बाकी वर्ग को भी एक बात को समजनी पड़ेगी के इस समस्या का अंत लड़की को सीमाओं में बांधने से नहीं आएगा। 

           स्त्री-पुरुष , युवा-वृद्ध , बच्चे सभी का समाज में अपना एक अलग अस्तित्व है। सभी का विकास होना जरुरी है और इस के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। युवा पेढी को इस बात का खास ध्यान रखना पड़ेगा की कोई वर्ग पीछे रहे जाए। क्योकि एक गाड़ी तभी ठीक से चल सकेगी जब उसके सभी पैये एक साथ सामान गति से चले।          


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            मै एक ब्लॉगर हु। मुझे सामाजिक विषयो पर लिखना अच्छा लगता हैं ।  समाज में रहने वाले हर एक इंसान की सोचने और समाज ने की शक्ति अलग होती हैं । ऐसे हालत में किसी भी बात को अलग तरीके से देखने का मेरा नजरिया बाकि लोगो को बताना मुझे अच्छा लगता है। मेरी कोशिश यही रहती है की मैं अपने शब्दों की मदद से लोगो तक अपनी बात पहोचा सकू और उन्हे समजा सकू।              मेरे तक़रीबन चार लेख न्यूज़पेपर में भी आ चुके है। माध्यम चाहे कोई भी हो पर कोशिश हमेशा यही रहती हैं की में लोगो के सामने एक नया नजरिया पेश कर सकू। 

જિંદગી ની શીખ Rutvi Thacker

Image Source: http://epaper.kutchmitradaily.com/viewpage.php?edition=Kutchmitra%20Purti&date=2018-11-24&edid=KUTCHMITRA_APU&pn=4#Page/4   I am a blogger and I’m a passionate about writing. My articles were published by Kutchmitra-Yuvabhumi. I’m happy to be a part of Kutchmita. Let’s connect with me on  social media: Facebook , Twitter, LinkedIn. Email :rutvithacker.11@gmail.com      

जिंदगी की किताब का एक पन्ना

                  जिंदगी ! एक ऐसा शब्द जिसे पृथ्वी पे बस्ता हर एक जीव अलग अलग तरह से महसूस करता है । और इस जिंदगी के लिए ऐसा कहा जाता है की ये बोहोत कुछ शीखा जाती है। और कुछ लोग तो ऐसा भी कहते है की जिंदगी के हर एक पल में से हमें कुछ ना कुछ शीखना चाहिए। और ये बात कही न कही सही भी है। क्युकी शीखा हुआ कभी व्यर्थ नहीं जाता। यानी की जिंदगी की हर एक शीख आगे की जिंदगी में कही ना कही काम आही जाती है।             हा,ये बात अलग है की एक ही घटना में से हरेक इंसान कुछ ना कुछ अलग शीखता है। पर ये बात भी सही है की शीखता जरूर है। पर ये शीखने की कस्मकस में हम कही बार कही ना कही खो जाते है। हम एक धारणा कर लेते है जिंदगी की घटना हमें कुछ ना कुछ शीखायेगी  या तो कोई इंसान उस घटना से कुछ शीखा जायेगा या तो उस घटना का सार शीखा जायेगा।              पर क्या असल में ऐसा होता है ? क्या हर बार हमें शीखाने के लिए कोई होना चाहिए ? क्या असल  में  हर बार कुछ शीखने का ही  उदेश ह...