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નવોત્થાન

આજનો આ યુગ ગતિશીલ અને સ્પર્ધાત્મક યુગ છે. જેમ જેમ સમય પસાર થતો જાય છે તેમ તેમ સ્પર્ધા પણ વધતી જાય છે. આવા સમયમાં વિધાર્થીઓ માટે થોડા ચિંતા નું વિષય છે કે એમનું આગલું પગલું શું ભરવું અને કેવી રીતે ભરવું ?  ઘણા વિધાર્થીઓ પોતાની અભિરુચિ અનુસાર ઘણી પ્રવુતિઓ અને ઘણા પ્રયાસો પણ કરતા હોય છે. ઘણા વિધાર્થીઓ પાસે તેમની રુચિ અનુસાર નવા સ્ટાર્ટઅપ પ્લાન પણ હોય છે અને જ્યારે અમુક વિધાર્થીઓ ટેકનોલોજી ની મદદ થી નવા ઇનોવેશન પણ કરતા હોય છે. બહુ બધી વખત વિધાર્થીઓ પાસે એવા આઈડિયા હોય છે કે જે ખરેખર બિરદાવવા લાયક હોય. અને જો ખરેખર આવા સ્ટાર્ટઅપ પ્લાન પર પૂરતું ધ્યાન આપવામાં આવે અને મદદ કરવામાં આવે તો તે સારા મુકામો હાસલ કરી શકે. ગુજરાત સરકાર દ્વારા  એક યોજના શરૂ કરવામાં આવેલ છે જેમાં સ્ટાર્ટઅપ/ઈનોવેશન ને મદદ પૂરી પાડવામાં આવે છે. આ યોજના SSIP( Student Startup & Innovation Policy, a Govt. Of Gujarat initiative ) થી જાણીતી છે. આ યોજના ની અંતર્ગત ચાલતું એક ખૂબ જ સરસ અને સફળ સ્ટાર્ટઅપ છે "પ્રથમ Notebook". પ્રથમ  Notebook એ IITRAM, Ahmedabad ના વિદ્યાર્થીઓ દ્વારા કાર્યરત છે. તેમના ...
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जिंदगी की किताब का एक पन्ना

                  जिंदगी ! एक ऐसा शब्द जिसे पृथ्वी पे बस्ता हर एक जीव अलग अलग तरह से महसूस करता है । और इस जिंदगी के लिए ऐसा कहा जाता है की ये बोहोत कुछ शीखा जाती है। और कुछ लोग तो ऐसा भी कहते है की जिंदगी के हर एक पल में से हमें कुछ ना कुछ शीखना चाहिए। और ये बात कही न कही सही भी है। क्युकी शीखा हुआ कभी व्यर्थ नहीं जाता। यानी की जिंदगी की हर एक शीख आगे की जिंदगी में कही ना कही काम आही जाती है।             हा,ये बात अलग है की एक ही घटना में से हरेक इंसान कुछ ना कुछ अलग शीखता है। पर ये बात भी सही है की शीखता जरूर है। पर ये शीखने की कस्मकस में हम कही बार कही ना कही खो जाते है। हम एक धारणा कर लेते है जिंदगी की घटना हमें कुछ ना कुछ शीखायेगी  या तो कोई इंसान उस घटना से कुछ शीखा जायेगा या तो उस घटना का सार शीखा जायेगा।              पर क्या असल में ऐसा होता है ? क्या हर बार हमें शीखाने के लिए कोई होना चाहिए ? क्या असल  में  हर बार कुछ शीखने का ही  उदेश ह...

About Us

            मै एक ब्लॉगर हु। मुझे सामाजिक विषयो पर लिखना अच्छा लगता हैं ।  समाज में रहने वाले हर एक इंसान की सोचने और समाज ने की शक्ति अलग होती हैं । ऐसे हालत में किसी भी बात को अलग तरीके से देखने का मेरा नजरिया बाकि लोगो को बताना मुझे अच्छा लगता है। मेरी कोशिश यही रहती है की मैं अपने शब्दों की मदद से लोगो तक अपनी बात पहोचा सकू और उन्हे समजा सकू।              मेरे तक़रीबन चार लेख न्यूज़पेपर में भी आ चुके है। माध्यम चाहे कोई भी हो पर कोशिश हमेशा यही रहती हैं की में लोगो के सामने एक नया नजरिया पेश कर सकू। 

જિંદગી ની શીખ Rutvi Thacker

Image Source: http://epaper.kutchmitradaily.com/viewpage.php?edition=Kutchmitra%20Purti&date=2018-11-24&edid=KUTCHMITRA_APU&pn=4#Page/4   I am a blogger and I’m a passionate about writing. My articles were published by Kutchmitra-Yuvabhumi. I’m happy to be a part of Kutchmita. Let’s connect with me on  social media: Facebook , Twitter, LinkedIn. Email :rutvithacker.11@gmail.com      

युवा भारत

       भारत ! हमारा देश भारत ! एक ऐसा देश जहां दिन प्रतिदिन बढ़ रही समस्याओ को कम करने के सामने उसके उपाय कम है। हमारे देश में दिन प्रतिदिन विकास के कार्य, योजनाए और अनेक प्रयासोसे विकास की गति बढ़ रही है। भारत आज प्रगति की उस सीडी पे आके खड़ा है जहां से निश्चित मंजिल पाने से अब ज्यादा समय नहीं रहा है।              हमारा देश आज उस परिस्थिति       पर है जहां हमारे देश को उसके   युवाओ के साथ की जरुरत है।   अगर       देश के     युवा जागृत होंगे और उचित दिशा में     देश के विकास के कार्यो में जुड़ेंगे तो देशमे बढ़ रही समस्याओ को रोक पाएंगे।   डॉ . ए . पी . जे . अब्दुल कलाम के ' इंडिया 2020 ' के सपने को पुरा करने के लिए देश के युवाओ के पास बस 2 साल का ही समय बाकी है।                 पीछले कुछ सालो में किये हुए कार्यो की वजह से   देश में ...

परिवार या मित्र

आमतौर पर जब किसी इन्सान से ये पूछा जाता है की उसके जीवन में सबसे ज्यादा कौन मह्त्वपूण है तब उसके उत्तर में वो अपने परिवार के सभ्यो या तो मित्रो के ही नाम देता है। किसी भी इन्सान की दुनिया उसके परिवार और मित्रो के इर्द गिर्द ही बसी हुए होती है।                                     पर कही बार परिवार और मित्रो के बारे में जब सलाह मासफरा कीया जाता है तब उस इंसान को उसके मित्रो के प्रति स्नेह तथा लगाव को कम करने की सलाह दी जाती है।  ऐसी परिस्थिति में कोइ भी ये बात को समझना नहीं चाहता के एक इंसान का उसके परिवार के अलावा उसके मित्रो के तरफ ज्यादा झुकाव क्यों रहता है।  सायद दुनिया और समाज के कायदे कानून की वजह से इंसान अपने परिवार और मित्रो के बिच में फस जाता है।                                                            ...